लिंग की परिभाषा क्या है ?
हिन्दी भाषा में संज्ञा शब्दों के लिंग का प्रभाव उनके विशेषणों तथा क्रियाओं पर पड़ता है।इस दृष्टि से भाषा के शुद्ध प्रयोग के लिए संज्ञा शब्दों के लिंग ज्ञान अत्यावश्यक है ‘लिंग’ का शाब्दिक अर्थ प्रतीक या चिह्न अथवा निशान होता है। संज्ञाओं के जिस रूपसे उसकी पुरुष जाति या स्त्री जाति का पता चलता है, उसे ही ‘लिंग’ कहा जाता है।
निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक देखें-
गाय बछड़ा देती है।
बछड़ा बड़ा होकर गाड़ी खींचता है।
पेड़-पौधे पर्यावरण को संतुलित रखते हैं।
धोनी की टीम फाइनल में पहुँची।
सानिया मिर्जा क्वार्टर फाइनल में पहुंची।
लादेन ने पेंटागन को ध्वस्त किया।
अभी वैश्विक आर्थिक मंदी छायी है।
उपर्युक्त वाक्यों में हम देखते हैं कि किसी संज्ञा का प्रयोग पुँल्लिंग में तो किसी का स्त्रीलिंग है। इस प्रकार लिंग के दो प्रकार हुए-
(i) पुंल्लिंग
(ii) स्त्रीलिंग
पुल्लिंग से पुरुष-जाति और स्त्रीलिंग से स्त्री-जाति का बोध होता है।सेबड़े प्राणियों (जो चलते-फिरते हैं) का लिंग-निर्धारण जितना आसान है छोटे प्राणियों और निर्जीवों का लिंग-निर्धारण उतना ही कठिन है।
प्राणियों के समूह को ध्यान करने वाली कुछ सा पाना है पुल्लिंग स्त्रीलिंग:-
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
परिवार | सभा |
गिरोह | प्रजा |
समुदाय | सेना |
प्रशासन | कमिटी |
देश | स्त्रीलिंग |
प्राधिकरण | जनता |
विद्यापीठ | समिति |
2. तत्सम एवं विदेशज शब्द हिन्दी में लिंग बदल चुके हैंतरसम/विदेशज हिन्दी में शब्द तस्समाविदेशज हिन्दी में
शब्द तत्सम एवं विदेशज हिन्दी में
महिमा पुँ० स्त्री०
आत्मा पुं० (आतम)
देह पुं० स्त्री०
देवता स्त्री० पुं०
दुकान स्त्री० (दूकान स्त्री०
मृत्यु पुं०
3. कुछ शब्द उभयलिंगी हैं। इनका प्रयोग दोनों लिंगों में होता है :
तार आया है। तार आई है। | |
मेरी आत्मा कहती है। मेरा आतमा कहता है। | |
वायु बहती है। वायु बहता है। | |
पवन सनसना रही है। पवन सनसना रहा है। | |
दही खट्टी है दही खट्टा है। | |
सॉस चल रही थी। साँस चल रहा था। | |
मेरी कलम अच्छी है। मेरा कलम अच्छा है। | |
रामायण लिखी गई । रामायण लिखा गया। | |
उसने विनय की। उसने विनय किया। |
नोट : प्रचलन में आत्मा, वायु, पवन, साँस, कलम, रामायण आदि का प्रयोग स्त्री० में तथातार, दही, विनय आदि का प्रयोग पुँल्लिग मे होता है।हमें प्रचलन को ध्यान में रखकर ही प्रयोगदुकानलासान है छोटे प्राणियों कीक्रिया का उचित रूप भाकामानमें लाना चाहिए।
4. कुछ ऐसे शब्द हैं, जो लिंग बदल जाने पर अर्थ भी बदल लेते हैं :
उस मरीज को बड़ी मशक्कत के बाद कल मिली है।
उसका कल खराब हो चुका है।
कल बीत जरूर जाता है, आता कभी नहीं।
मैं कबसे आपकी बाट जोह रहा हूँ।
उसने चन्दन का टीका लगाया।
उसने अपनी बहू को एक सुन्दर टीका दिया।
वह लकड़ी के पीठ पर बैठा भोजन कर रहा है।
उसकी पीठ में दर्द हो रहा है।
सेठजी के कोटि रुपये व्यापार में डूब गए।
आपकी कोटि क्या है, सामान्य या अनुसूचित ?
कहते हैं कि पहले यति तपस्या करते थे।
दोहे छंद में 11 और 13 मात्राओं पर यति होती है।
धार्मिक लोग मानते हैं कि विधि सृष्टि करता है।
इस हिसाब की विधि क्या है?
उस व्यापारी का बाट ठीक-ठाक है।
5. कुछ प्राणिवाचक शब्दों का प्रयोग केवल स्त्रीलिंग में होता है, उनका
जैसे-
सुहागिन सौत धाय संतति संतान सेना सती सौतन नर्स औलाद पुलिस फौज सरकार
6. पर्वतों, समयों, हिन्दी महीनों, दिनों, देशों, जल-स्थल, विभागों, ग्रहों, नक्षत्रों, मोटी-भद्दी,भारी वस्तुओं के नाम पुँल्लिंग हैं।
जैसे-
हिमालय धौलागिरि मंदार चैत्र वैसाख ज्येष्ठ सोमवार मंगलवार भारत श्रीलंका अमेरिका लट्ठा शनि प्लूटो सागर महासागर
7.भाववाचक संज्ञाओं में त्व, पा, पन प्रत्यय जुड़े शब्द पुं० और ता, आस, अट, आई, ईप्रत्यय जुड़े शब्द स्त्रीलिंग हैं-
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
शिवत्व | मनुष्यता |
मनुष्यत्व | मिठास |
पशुत्व | लड़ाई |
लड़कपन | बुढ़ापा |
घबराहट | गर्मीब |
प्यास | बनावट |
8. ब्रह्मपुत्र, सिंधु और सोन को छोड़कर सभी नदियों के नामों का प्रयोग स्त्रीलिंग में होता है।
जैसे —गंगा, यमुना, कावेरी, कृष्णा, गंडक, कोसी आदि ।
9,शरीर के अंगों में कुछ स्त्रीलिंग तो कुछ पुल्लिग होते हैं:
पुरुष लिंग | स्त्रीलिंग |
मस्तक | मुँह |
पैर | ग्रीवा ठोड़ी |
नाखून | आँख |
भाल | नाक |
ललाट | जीभ |
कांगला | वेणी |
हाथ | चोटी |
पेट | ओष्ठ |
टखना | दाँतशिखा |
अँगूठा | दाढ़ी |
फेफड़ा | गर्दन |
10. कुछ प्राणिवाचक शब्द नित्य पुँल्लिग और नित्य स्त्रीलिंग होते हैं :
नित्य स्त्रीलिंग
बाज,पक्षी
दीमक
चीलविहग
कछु
आछली
गिलहरी
मैना
खगखरगोश
गैंडा,तितली
कोयल
मकड़ी
मच्छर
खटमल
छिपकली
चींटी
बिच्छू,जुगनू
.11. हिन्दी तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।
जैस–प्रतिपदा, द्वितीया, षष्ठी, पूर्णिमा आदि ।
2. संस्कृत के या उससे परिवर्तित होकर आए अ, इ, उ प्रत्ययान्त पुं० और नपुं० शब्द हिन्दी
में भी प्रायः पुं० ही होते हैं।
जैसे-
- जग जगत्
- जीव मन
- जीत मित्र पद्य साहित्य
- संसार शरीर तन धन
- मीत चित्र गद्य नाटक
- काव्य छन्द अलंकार जल
- पल स्थल बल रत्न
- ज्ञान मान
- धर्म कर्म जन्म मरण कवि ऋषि
- मुनि संत कांत साधु जन्तु
- जानवर पक्षी
13. प्राणिवाचक जोडी के अलावा ईकारान्त शब्द प्रायः स्त्री० होते हैं।
जैसे-
कली ,गाली, जाली ,सवारी, तरकारी ,सब्जी, सुपारी,साड़ी ,नाड़ी, नारी, टाली, गली ,भरती, वरदीगरमी,इमली ,बालीपरन्तु, मोती, दही, घी, जी, पानी आदि ईकारान्त होते हुए भी पुँल्लिंग हैं।
14. जिन शब्दों के अन्त में त्र, न,ण, ख, ज, आर, आय, हों वे प्रायः पुंल्लिग होते हैं। जैसे-
पोषण, मित्र,,सरोज,सुख,भोजन,मनोज,दुःख,रमन,पत्र,रूख भोज,समाज,अनाज,ताज,द्वार, शृंगार, विहार, आहार,अधिकार
पुल्लिंग स्त्रीलिंग शब्द 100
15. सब्जियों, पेड़ों और बर्तनों में कुछ के नाम पुल्लिंग तो कुछ के स्त्री हैं।
जैसे-
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
टमाटर | फूलगोभी |
शलजम | मूली |
बैंगन | मेंथी |
मटर | फराज़बीन |
अदरख | शकरकन्दी |
पुदीना | लीची |
आलू | भिंडी |
खीरा | गाजर |
लहसुन | सरसों |
प्याज | ककड़ी |
धनिया | नीम |
कचालू | इमली |
नींबू | मौसंबी |
कटहल | बेली, जूह |
कीकर | अमलतास |
कद्दू | चमेली |
तरबूज | नरगिस |
फालसा | लता |
सेब | चिरौंजी |
शहतूत | बेल, गूठी |
बिजौरा | बगिया, छुरी |
करेला | बाल्टी |
कुम्हड़ | जड़ |
खरबूजा | अँगीठी |
पपीता | कटोरी |
बेल | चलनी |
नारियल | कैंची |
जामुन | चक्की |
माल्टा | तवा |
तेंदु | नल |
देवदार | कंगन |
चन्दन | कड़ा |
आबनूस | झूमर |
ताड़ | काँटे |
बूटा | शीशफूल |
पतीला | कुंडल |
खजूर | बाजूबन्द |
टब | झुमका |
चूल्हा | आभूषण |
चाकू | हार |
बेलन | कील |
16. रत्नों के नाम, धातुओं के नाम तथा द्रवों के नाम अधिकांशतः पुंल्लिंग हुआ करते हैं।
जैसे-
हीरा ,पुखराज, पन्ना, नीलम, लाल ,जवाहर,मूंगामोती, सोना,पीतल ,ताँबा,सीस,एल्युमीनियम ,प्लेटिनम, यूरेनियम, टीन,जस्ता, पारा, पानी,
जल,घी, तेल, सोडा,दूध, शर्बत,जूस,काढ़ा, कहवा, कोका, (यानी स्त्री०)
सीपी, मणि ,रत्ती ,चाँदी,मद्य, चाय ,लस्सी,छाछ,शिकंजवी,स्याही
17. आभूषणों में स्त्रीलिंग एवं पुँल्लिंग शब्द हैं-
पुल्लिग | स्त्रीलिंग |
कंगन | आरसी |
गजरा | बाली |
कड़ा | नथ |
झूमर | तीली |
काँटे | झालर चूड़ी |
शीशफूल | अंगूठी कंठी |
कुंडल | माला |
बाजूबन्द | बिंदिया |
झुमका | मुद्रिका |
आभूषण | पायल |
हार | कंठी |
कील | मुद्रिका |
18, किराने की चीजों के नाम, खाने पीने के सामानों के नाम और वस्त्रों के नामों में पुंल्लिग और स्त्रीलिंग इस प्रकार होते हैं।
पुँल्लिंग | स्त्रीलिंग |
दरक | अजव |
मसाला | हल्दी सौंफ |
जीरा धनिया | लवंग (लौंग) हींग सुपारी |
अमचूर | मिर्च कालमिर्च इमली |
अनारदाना | रसा |
पराठा हलवा | खिचड़ी पूड़ी |
समोसा | खीर चपाती चटनी |
भात भठूरा कुल्या | भाजी |
चावल रायता | तरकारी |
गोलगप्पे | बर्फी मट्ठी बर्फ |
पापड़ | अंगिया |
रसगुल्ला | जुर्राब |
मोहनभोग पेड़ | बंडी |
फुल्का | कमीज साड़ी |
रूमाल | पतलून |
कुरता | निक्कर |
पाजामा | पगड़ी |
कोट | लैंगोटी |
सूट | टोपी |
मोजे | सब्जी |
दुपट्टा | चुनरी |
19. आ, ई, उ, ऊ अन्तवाली संज्ञाएँ स्त्रीलिंग और पुँल्लिंग इस प्रकार होती हैं–
पुँल्लिंग | स्त्रीलिंग |
कुर्ता | प्रार्थना,दया |
शशि | आज्ञा ,लता |
कवि | माला ,भाषा |
ऋषि | कथा ,दशा |
घी | कृपा,विद्या |
मोती | शिक्षा,दीक्षा |
साघु | बुद्धि ,रुचि |
काजू | राशि ,क्रांति |
पुंल्लिग | नीति ,मति |
कुत्ता | छवि,स्तुति |
रवि | गति |
हरि | स्थिति |
पानी | मुक्ति रीति |
प्राणी | नदी |
दही | गठरी |
मधु | उदासी |
20. ख, आई, हट, वट, ता आदि अन्तवाली संज्ञाएँ प्रायः स्त्रीलिंग होती हैं।
जैसे-
राख भीख
सीख
भलाई बुराई ऊँचाई
गहराई
मुस्कराहट घबराहट झुंझलाहट
झल्लाहट
सजावट
बनावट मिलावट रूकावट थकावट स्वतंत्रता
मिगता
पराधीनता
लघुता
शत्रुता
कटुता मधुरता सुन्दरता
रम्यता
प्रसन्नता
सत्ता
अक्षुण्णता
21. भाषाओं तथा बोलियों के नाम स्त्रीलिंग हुआ करते हैं।
जैसे-
हिन्दी
संस्कृत अंग्रेजी
बंगला मराठी
कन्नड़
तमिल
गुजराती
मलयालम सिंधी
फ्रेंच
उर्दू अरबी फारसी
लैटिन
ग्रीक
ब्रज
बुंदेली
मगही
बागडू अपभ्रंश
अवधी
भोजपुरी
मैथिली
दीवार
मकान
लाश
बारिश
कशिश
कोशिश
23. अरबी फारसी के अन्य शब्दों में कुछ स्त्रीलिंग तो कुछ पुंल्लिग इस प्रकार होते है,
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
हिसाब कबाब | दुकान सरकार |
जनाब | दीवार |
मकान | दवा |
इनसान | हवा दुनिया |
मेहमान | फिजाँ हया |
मेजबान दरबान | शर्म |
अखबार | गरीबी अमीरी वफादारी |
बाजार दुकानदार | लाचारी खराबी मजदूरी |
मजा | लाश |
वक्त | तलाश कशिश |
खत | बारिश शोरिश कोशिश |
24. अंग्रेजी भाषा से आए शब्दों का लिंग हिन्दी भाषा की प्रकृति के अनुसार तय होता है ।
जैसे-
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
टेलीफोन टेलीविजन रेडियो ग्रा | ग्राउंड |
स्कूल स्टूडेंट स्टेशन | जीव |
पेन | फोटो |
बूट | कार ट्रेन |
बटन | पेंसिल |
25. क्रियार्थक संज्ञाएँ पुँल्लिंग होती हैं।
जैसे-
नहाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। टहलना हितकारी होता है।
गाना एक व्यायाम होता है।
नोट : जब कोई क्रियावाची शब्द (अपने मूल रूप में) किसी कार्य के नाम के रूप में प्रयुक्त
हो तब वह संज्ञा का काम करने लगता है। इसे ‘क्रियार्थक संज्ञा’ कहते हैं। ऊपर के तीनों वाक्यों
में लाल रंग के पद संज्ञा हैं न कि क्रिया।
26. द्वन्द्व समास के समस्तपदों का प्रयोग पुँल्लिंग बहुवचन में होता है।
नीचे लिखे वाक्यों पर ध्यान दें-
(i) मेरे माता-पिता आए हैं। (ii) उनके भाई-बहन शहर में पढ़ते हैं।
FAQ
लिंग कितने प्रकार के होते हैं?
इस प्रकार लिंग के दो प्रकार हुए-
(i) पुंल्लिंग
(ii) स्त्रीलिंग
पुल्लिंग से पुरुष-जाति और स्त्रीलिंग से स्त्री-जाति का बोध होता है।सेबड़े प्राणियों (जो चलते-फिरते हैं) का लिंग-निर्धारण जितना आसान है छोटे प्राणियों और निर्जीवों का लिंग-निर्धारण उतना ही कठिन है।
लेख के बारे में-
इस आर्टिकल में हमने “लिंग की परिभाषा क्या है ? ” के बारे में पढे। अगर इस Notes रिसर्च के बाद जानकारी उपलब्ध कराता है, इस बीच पोस्ट पब्लिश करने में अगर कोई पॉइंट छुट गया हो, स्पेल्लिंग मिस्टेक हो, या फिर आप-आप कोई अन्य प्रश्न का उत्तर ढूढ़ रहें है तो उसे कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएँ अथवा हमें notesciilgrammars@gmail.com पर मेल करें।
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